इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Tax Saving Investment : आज महंगाई के दौर में सीमित आमदनी के सहारे परिवार चलाना काफी मुश्किल काम है। टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट को लेकर लोगों में अक्सर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिलती है।
कुछ लोग इसे बेहतर भविष्य के लिए बढ़िया विकल्प मानते हैं। कुछ लोग कम रिटर्न या इन्वेस्टमेंट से जुड़ी अन्य समस्याओं के चलते इनमें निवेश नहीं करते।
ऐसे में जरूरी है कि आपको टैक्स सेविंग से जुड़ी कुछ सामान्य बातों की जानकारी होनी चाहिए ताकि आप अपने लिए बेहतर प्लान का चुनाव कर सकें।
ये इन्वेस्टमेंट आपको न सिर्फ टैक्स में राहत देते हैं, बल्कि भविष्य भी सुनिश्चित करते हैं। ऐसे इनवेस्टमेंट प्लान सेक्शन 80सी और 80 सीसीसी के अंदर आते हैं।
सैलरी और नान-सैलरी दोनों ही तरह के टैक्स पेयर्स के लिए टैक्स सेविंग सीजन 1 अप्रैल से शुरू होता है। एक समझदार निवेशक होने के नाते आपको ऐसे इन्वेस्टमेंट में निवेश करना चाहिए जो आपको एक टैक्स फ्री इंकम दे सके।
लोग अक्सर इन्वेस्टमेंट को बाद के लिए टाल देते हैं, जबकि समझदारी ये है कि आप वित्तीय वर्ष के शुरूआती महीनों में ही इन्वेस्टमेंट प्लान शुरू कर दें।
इसका फायदा ये होगा कि आपको बेहतर रिटर्न वाले प्लान को समझने और निवेश करने का मौका मिलेगा। निवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें।
- अगर आपका टैक्स सेविंग खर्च 1.5 लाख की लिमिट कवर करता है तो आपको सारे अमाउंट को इन्वेस्ट करने की जरूरत नहीं है।
- अपना रिस्क प्रोफाइल ध्यान में रखते हुए आप कुछ टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट जैसे पीपीएफ, ईएलएसएस, फंड्स, बैंक एफडीएस और एनपीएस आदि में निवेश कर सकते हैं।
- जरूरी है कि पहले पुराने इन्वेस्टमेंट जैसे कि इंश्योरेंस प्रीमियम, ईपीएफ खाते में आपका योगदान, बच्चों की पढ़ाई, होम लोन के रीपेमेंट आदि खर्च को ध्यान में रखा जाए। ये सोचकर ही नए प्लान कमिटमेंट करें।
- बेहतर रिटर्न और लॉक इन पीरियड को ध्यान में रखते हुए आप टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं। Tax Saving Investment
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