Steel Sector
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
कोयले के आयात को कम करने में लौह अयस्क और इस्पात क्षेत्र में हाइड्रोजन के उपयोग से मदद मिलेगी। यह कहना है केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह का। उन्होंने पर्यावरण अनुकूल इस्पात की ओर बढ़ने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाइड्रोजन को लेकर एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण है।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने कहा कि लौह और इस्पात उद्योग को बड़ा लाभ होगा क्योंकि कोयले का स्थान हाइड्रोजन ले सकती है। इससे कोयले के आयात पर हमारी निर्भरता भी कम होगी। केंद्रीय मंत्री ने इस्पात क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना-पूरक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि उद्योग के सुझावों पर विचार किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य निर्बाध, पारदर्शी और लचीली प्रक्रिया बनाना है।
राम चंद्र प्रसाद ने कहा कि उद्योग ने उत्पादन में काफी प्रगति की है। वर्ष 1991 में 2.2 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में उत्पादन 12 करोड़ टन हो गया है। सिंह ने कहा कि 2030 तक इस्पात का उत्पादन 30 करोड़ टन और 2047 तक 50 करोड़ टन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
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