Crude Oil Crisis
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच 9 दिन से चल रहा युद्ध अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। रूसी सेना ने यूक्रेन में ताबड़तोड़ तबाही मचाई हुई है। वहीं रूस के आक्रामक रवैया के कारण अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस की बैंकिंग प्रणाली पर लगाए गए प्रतिबंधों के अलाव अब रूसी आयल के खिलाफ भी प्रतिक्रिया शुरू हो गयी है।
वहीं एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएचएस मार्केट के वाइस प्रेजिडेंट डैनियल येरगिन के मुताबिक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से एनर्जी मार्केट में बड़े पैमाने पर संकट पैदा हो सकता है, यह 1970 के दशक में तेल संकट जैसा हो सकता है।
रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश
येरगिन ने कहा है कि यह 1970 के दशक में अरब तेल प्रतिबंध और ईरानी क्रांति के बाद से सबसे खराब संकट हो सकता है। उस दशक में दोनों घटनाएं तेल के लिए बहुत बड़ा झटका था। यद्यपि अमेरिका और अन्य देशों द्वारा रूसी तेल पर प्रतिबंध अभी तक लागू नहीं किए गए हैं। येरगिन का मानना है कि बाजार से रूसी बैरल का एक महत्वपूर्ण नुकसान होगा। उनके अनुसार, रूस प्रतिदिन लगभग 7.5 मिलियन बैरल तेल और प्रोसेस्ड वस्तुओं का निर्यात करता है।
सबसे ज्याद नाटो को निर्यात होता रूसी तेल
येरगिन ने कहा है कि लोजिस्टिक्स के मामले में यह एक बड़ा व्यवधान होने जा रहा है और लोगों को बहुत परेशानी हो रही है। यह एक आपूर्ति संकट है। यह एक लोजिस्टिक्स संकट है। यह एक भुगतान संकट है और यह 1970 के दशक के पैमाने पर भी हो सकता है।
येरगिन के मुताबिक प्रतिबंध लगाने वाली सरकारों और उद्योग के बीच मजबूत कम्युनिकेशन सबसे खराब स्थिति की तरफ बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि नाटो के सदस्य रूस के निर्यात का लगभग आधा हिस्सा प्राप्त करते हैं। उसका कुछ हिस्सा बाधित होने वाला है।
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