Why Indian Rupee The Worst Performer In Asian Market
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
शुक्रवार को बेशक भारतीय रूपया डालर के मुकाबले 14 पैसा मजबूत हुआ हो लेकिन आलओवर भारतीय रुपये में गिरावट का दौर ही जारी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रुपया एशियाई बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया है। बाजार में डालर के मुकाबले भारतीय रूपया के गिरने का मुख्या कारण विदेशी निवेशकों की ओर से जारी बिकवाली बताया जा रहा है।
इसका सीधा मतलब है कि देश के शेयर बाजार से विदेशी निवेश अपना पैसा निकाल रहे हैं। इस साल अक्टूबर से दिसंबर माह में ये एशिया के 48 देशों में सबसे कमजोर करेंसी (Indian Rupee Weak) में से एक बन गया है। इस समय एक डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 75.45 रुपए है। एक जनवरी 2021 को ये 73.09 रुपए पर था। भारत की करेंसी कमजोर होने पर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे।
आपको बता दें कि विकसित देशों के इंवेस्टर भारतीय शेयर मार्केट से अपना पैसा निकाल रहे हैं। वहीं अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने ब्याजदर 0.75 फीसदी बढ़ाने के संकेत दिए हैं। रुपये (Indian rupee fluctuate) पर दबाव कम करने के लिए भारतीय रिर्जव बैंक (आरबीआई) डॉलर बेचता है, लेकिन इस साल नहीं बेचा है। वहीं जोखिम कम करने के लिए सोने की तरह डॉलर जुटाने का चलन बढ़ा है।
पैसे की कीमत टूटने से किसे फायदा, किसे नुकसान? US Dollar VS Pakistan Indian Rupee
फायदा: पैसे (Depreciation in Rupee) टूटने से विदेशी पर्यटकों के लिए भारत घूमना सस्ता है। वहीं भारतीय मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री को भी फायदा मिलेगा। बिजनेसमैन के लिए एक्सपोर्ट से ज्यादा फायदा मिलेगा।
नुकसान: पेट्रोलियम और सोने के दाम में बढ़ौतरी होगी। युवाओं को विदेशों में पढ़ाई करना महंगा होगा। वहीं सामानों की कीमत बढ़ने से महंगाई बढेगी।
दुनिया की पांच मजबूत करेंसी कौन सी?
Indian rupee News today: दुनिया के सबसे पांच मजबूत करेंसी की अगर बात की जाए तो इसमें सबसे पहले नंबर पर अमेरिकी डॉलर आता है। दुनिया के कारोबार में 85 फीसदी अमेरिकी डॉलर में व्यापार होता है। दूसरे नंबर पर मजबूत करेंसी यूरो है। 19 यूरोपीय देश यूरो करेंसी इस्तेमाल करते हैं। तीसरे नंबर पर जापान की करेंसी येन है। दुनिया की सबसे पुरानी करेंसी ब्रिटिश पाउंड चौथे नंबर है। पांचवें पर ऑस्ट्रेलियाई डॉलर आता है।
क्या वजह है अमेरिकी डॉलर से करेंसी की तुलना करना? Indian rupee Latest News
Indian money value: आपको बता दें अमेरिकी डॉलर को स्टेबल करेंसी माना जाता है। दुनियाभर में 85 फीसदी व्यापार डॉलर से होता है। दुनिया के केंद्रीय बैंकों में 64 फीसदी विदेशी करेंसी यूएस डॉलर है। दुनियाभर में 39 फीसदी कर्ज यूएस डॉलर में दिए जाते हैं।
कैसे होती है किसी भी देश की करेंसी मजबूत या कमजोर?
Indian Money Facts: दरअसल, हर देश के पास दूसरे देश की करेंसी का भंडार होता है। जो देश जितना ज्यादा सामानों का निर्यात करता है, उस देश के पास उतनी ही ज्यादा विदेशी करेंसी होती है। किसी देश के पास जब विदेशी करेंसी की कमी हो जाती है, तो उस देश की करेंसी की कीमत कम हो जाती है। किस देश के पास कितना सोना है इससे भी उस देश की करेंसी की कीमत तय होती है।
आखिर केंद्रीय बैंक अपने ही देश की करेंसी को क्यों गिरा देती है? Know What Is The Reason For INR Rupee Fall
indian currency facts: एक उदाहरण के तौर पर, एक अमेरिकी कंपनी भारत से पांच किलो चाय पत्ती प्रति किलो पांच यूएस डॉलर के हिसाब से खरीदती है। एक अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 70 रुपया है। यानी पांच किलो चायपत्ती का दाम 350 रुपया है।
अमेरिकी बिजनेसमैन कहता है कि नेपाल से उसे कम दाम में चायपत्ती मिल रही है। भारतीय बिजनेसमैन दाम घटाने से इनकार कर देता है। भारत सरकार अब डॉलर की तुलना में रुपये की वैल्यू घटाकर 75 रुपए कर देती है। फिर 5 किलो चायपत्ती का दाम 350 रुपया ही है, लेकिन अब अमेरिकी बिजनेसमैन को इसके लिए 4.66 डॉलर देना होता है। इससे चायपत्ती का व्यापार बढ़ जाता है और इससे व्यापार घाटा कम करना आसान हो जाता है।
आरबीआई के पास कैसे जमा होती है विदेशी करेंसी
Indian rupee: भारतीय रिजर्व बैंक (Indian rupee information) के पास विदेशी करेंसी के बढ़ने या घटने की कई वजह हो सकती हैं। कोरोना महामारी में लॉकडाउन के बाद भारतीय कारोबार बंद रहा। इस दौरान सामानों का निर्यात नहीं हो पाया। ऐसे में भारत के पास विदेशी करेंसी नहीं आई, लेकिन आक्सीजन सिलेंडर, दवाई समेत कई चीजों की खरीद के लिए जमा डॉलर खर्च करने पड़े। महंगाई, बेरोजगारी जैसे कारकों की वजह से भी किसी देश की करेंसी कमजोर या मजबूत होती है।
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